श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण रचना करो कोशिश तो मंजिल खुद राहों का पता बताती है…।)
☆ मुक्तक – ।। करो कोशिश तो मंजिल खुद राहों का पता बताती है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆
[1]
गिला शिकवा शिकायतें हार बन कर आती हैं।
कोशिश बार बार जीत साकार बन कर आती है।।
इच्छा शक्ति सतत अभ्यास से सम्भव सब कुछ।
ठान ही लो तो मंजिल उपहार बन कर आती है।।
[2]
जीत और हार को लो जीवन में समभाव से।
जीत भी हर जातीअति विश्वास के दवाब से।।
जब तक मन से न हारो हार होती नहीं है।
हार बदल जाती जीत मे हौंसलों के प्रभाव से।।
[3]
बढ़ते चलो कि आये राहों में तुम्हारे कोई पगबाधा।
जीत हाँसिल होगी जो तुमने विश्वास को साधा।।
मंजिल खुद पता बताती है अपने रास्तों का।
जब उम्मीद हटा देती है मन की हर अंतर बाधा।।
[4]
हर चुनौती और समस्या हमारी परीक्षा लेती है।
बस डट कर करो सामना आस ये शिक्षा देती है।।
सकारात्मक सोच अदृश्य के पार भी है देख लेती।
जब ह्रदय में सदैव सफलता की अनुरक्षा रहती है।।
© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464
बेहतरीन अभिव्यक्ति