श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’
(साहित्यकार श्रीमति योगिता चौरसिया जी की रचनाएँ प्रतिष्ठित समाचार पत्रों/पत्र पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में सतत प्रकाशित। कई साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित। राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय मंच / संस्थाओं से 150 से अधिक पुरस्कारों / सम्मानों से सम्मानित। साहित्य के साथ ही समाजसेवा में भी सेवारत। हम समय समय पर आपकी रचनाएँ अपने प्रबुद्ध पाठकों से साझा करते रहेंगे।)
☆ कविता ☆ मंद-सी बयार चले… ☆ श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ ☆
(मनहरण घनाक्षरी छंद)
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शरद है ऋतु आई, कम्पन सी ठंड लाई,
स्वागत इसका करें, छंद ऋतु गाते हैं ।
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मंद-सी बयार चले, शीतल तरंग ढले,
कोहरे का दर्श हुआ, अंगीठी जलाते हैं ।।
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गुनगुनी सी हैं धूप, सौंदर्य हैं लिए रूप,
शीत ऋतु आगमन, सहर्ष मनाते हैं ।
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हरियाली का श्रृंगार, सृष्टि लिए उपहार,
मनोभाव उठे सखी, नव गीत भाते हैं ।!
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© श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’
मंडला, मध्यप्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈