प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ महावीर जयंती विशेष – महावीर स्वामी के दोहे ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆
वर्धमान महावीर को, सौ-सौ बार प्रणाम।
जैन धर्म का कर सृजन, रचे नवल आयाम।।
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तीर्थंकर भगवान ने, फैलाया आलोक।
परे कर दिया विश्व से, पल में सारा शोक।।
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महावीर ने जीतकर, मन के सारे भाव।
जीत इंद्रियाँ पा लिया, संयम का नव ताव।।
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कुंडग्राम का वह युवा, बना धर्म दिनमान।
रीति-नीति को दे गया, वह इक चोखी आन।।
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वर्धमान साधक बने, और जगत का मान।
जैनधर्म के ज्ञान से, किया मनुज-कल्याण।।
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पंच महाव्रत धारकर, दिया जगत को सार।
करुणा, शुचिता भेंटकर, हमको सौंपा प्यार।।
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जैन धर्म तो दिव्य है, सिखा रहा सत्कर्म।
धार अहिंसा हम रखें, कोमलता का मर्म।।
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तीर्थंकर चोखे सदा, धर्म प्रवर्तक संत।
अपने युग से कर गए, अधम काम का अंत।।
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मातु त्रिशला धन्य हैं, दिया अनोखा लाल।
जो करके ही गया, सच में बहुत कमाल।।
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आओ ! हम सत् मार्ग के, बनें पथिक अति ख़ूब।
मानवता की खोज में, जाएँ हम सब डूब।।
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
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