हिन्दी साहित्य – कविता ☆ मन, मन है….. ☆– श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश”
श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश”
☆ मन, मन है….. ☆
सोचो मन की,
करो मन की…..।
बोलो मन से,
सुनो मन से….।
हो सम्मान खुद के मन का,
करो मान दूसरों के मन का…..।
करो याद दूसरों को मन से,
न करो पराया किसी को मन से…..।
मन के हों अरमान पूरे,
मन के न रहे सपने अधूरे…..।
मन से हो समर्पण,
मन के लिए हो समर्पण…..।
© माधव राव माण्डोले “दिनेश”, भोपाल
(श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश”, दि न्यू इंडिया एश्योरंस कंपनी, भोपाल में उप-प्रबन्धक हैं।)