डॉ निशा अग्रवाल

☆ कविता – रक्तदान ☆ डॉ निशा अग्रवाल ☆

(14 जून – विश्व रक्त दाता दिवस विशेष)

जब भी होती दुर्घटनाएं

मानव लहू लुहान हो जाता

रक्त का दरिया निकल शरीर से

सड़क पर यूं ही बहता जाता

 

कभी रोग लग जाते ऐसे

रक्त शरीर में कम हो जाता

चक्कर खाकर गिरता मानव

मिले रक्त जब चल पाता

 

जब आ जाता रक्षक कोई

कर्ण जैसा रक्त दाता कोई

कहता जान बचालो इसकी

मेरा रक्त इसे चढ़ा दो कोई

 

चढ़े रक्त जब मिले रक्त से

सांसें तब वापस आ जाती

जीवन का बस मोल बताकर

नव जीवन को पुलकित करती

 

रक्त दाता ही जीवन दाता

रक्त बैंक में जमा करवाता

पड़े जरूरत जब भी रक्त की

सभी ग्रुप का रक्त मिल जाता

 

रक्तदान से रक्त है बनता

रक्त संचरण नसों में रहता

ना ही होती कोई बीमारी

ना ही आती इससे कमजोरी

 

जब भी करनी हो जन सेवा

रक्त दान सब अवश्य कराएं

जीवन के इस महादान से

खुद को न कभी वंचित पाएं।

 

©  डॉ निशा अग्रवाल

(ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका)

एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री

जयपुर ,राजस्थान

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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