हिन्दी साहित्य – कविता -☆ रिश्ते और दोस्ती ☆ – श्री हेमन्त बावनकर
श्री हेमन्त बावनकर
☆ रिश्ते और दोस्ती ☆
सारे रिश्तों के मुफ्त मुखौटे मिलते हैं जिंदगी के बाजार में
बस अच्छी दोस्ती के रिश्ते का कोई मुखौटा ही नहीं होता
कई रिश्ते निभाने में लोगों की तो आवाज ही बदल जाती है
बस अच्छी दोस्ती में कोई आवाज और लहजा ही नहीं होता
रिश्ते निभाने के लिए ताउम्र लिबास बदलते रहते हैं लोग
बस अच्छी दोस्ती निभाने में लिबास बदलना ही नहीं होता
बहुत फूँक फूँक कर कदम रखना पड़ता है रिश्ते निभाने में
बस अच्छी दोस्ती में कोई कदम कहीं रखना ही नहीं होता
जिंदगी के बाज़ार में हर रिश्ते की अपनी ही अहमियत है
बस अच्छी दोस्ती को किसी रिश्ते में रखना ही नहीं होता
© हेमन्त बावनकर