डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं।
आज 21 जून परम आदरणीय गुरुवर डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’ जी के जीवन का अविस्मरणीय दिवस है। उनकी सुपुत्री डॉ भावना शुक्ल जी एवं डॉ हर्ष तिवारी जी स्मरण करते हैं कि – यदि आज आदरणीय माता जी स्व डॉ गायत्री तिवारी जी साथ होती तो हम सपरिवार उनके विवाह की 55वीं सालगिरह मनाते, योग दिवस मनाते।
? हम सब की और से पितृ दिवस पर उन्हें सादर चरण स्पर्श एवं इस अविस्मरणीय दिवस हेतु हार्दिक शुभकामनायें ?
लेखनी सुमित्र की – प्रेम के सन्दर्भ में दोहे
नाम रूप क्या प्रेम का, उत्तर किसके पास।
प्रेम नहीं है और कुछ, केवल है अहसास।।
निराकार की साधना, कठिन योग पर्याय।
योग शून्य का शून्य में, शून्य प्रेम – संकाय ।।
गोप्य प्रेम बहुमूल्य है, जैसे परम विराग ।
प्रकट प्रेम की व्यंजना, जैसे ठंडी आग ।।
आयु वेश की परिधि में, बंधे न बांधे प्यार ।
सागर रहता संयमित, रुके न रोके ज्वार ।।
सृष्टि समाहित प्रेम में, प्रेम अलौकिक गीत।
प्रेमिलता अनुभव करें, हृदयों का संगीत ।।
गोपनीय है प्रेम यदि, जाने केवल व्यक्ति ।
सहज प्रेम की सदा ही, होती है अभिव्यक्ति ।।
अंधा कहते प्रेम को, वही नयन विहीन।
दृष्टि दिव्य हैं प्रेम की, करती ताप विलीन।।
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
9300121702
, अच्छी रचना