प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे

☆ असत्य पर सत्य की पावन विजय – दशहरा ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे 

है असत्य पर सत्य की, विजय दशहरा पर्व।

पराभूत दुर्गुण हुआ, धर्म कर रहा गर्व।।

है असत्य पर सत्य की, विजय और जयगान।

विजयादशमी पर्व का, होता नित सम्मान।।

जीवन मुस्काने लगा, मिटा सकल अभिशाप।

है असत्य पर सत्य की, विजय दशहरा ताप।।

है असत्य पर सत्य की, विजय लिए संदेश।

सदा दशहरा नम्रता, का रखता आवेश।।

है असत्य पर सत्य की, विजय लिए है वेग।

विजयादशमी पर्व है, अहंकार पर तेग।।

नित असत्य पर सत्य की, विजय खिलाती हर्ष।

सदा दशहरा चेतना, लाता है हर वर्ष।।

तय असत्य पर सत्य की, विजय बनी मनमीत।

इसीलिए तो राम जी, लगते पावन गीत।।

नारी का सम्मान हो, मिलता हमको ज्ञान।

है असत्य पर सत्य की, विजय दशहरा आन।।

है असत्य पर सत्य की, विजय सुहावन ख़ूब।

राम-विजय से उग रही, धर्म-कर्म की दूब।।

 यही सार-संदेश है, यही मान्यता नित्य।

है असत्य पर सत्य की, विजय‌ बनीआदित्य।।

© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे

प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661

(मो.9425484382)

ईमेल – [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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