श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी “

(सुप्रसिद्ध, ओजस्वी,वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती हेमलता मिश्रा “मानवी” जी  विगत ३७ वर्षों से साहित्य सेवायेँ प्रदान कर रहीं हैं एवं मंच संचालन, काव्य/नाट्य लेखन तथा आकाशवाणी  एवं दूरदर्शन में  सक्रिय हैं। आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, कविता कहानी संग्रह निबंध संग्रह नाटक संग्रह प्रकाशित, तीन पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद, दो पुस्तकों और एक ग्रंथ का संशोधन कार्य चल रहा है। आज प्रस्तुत है श्रीमती  हेमलता मिश्रा जी  की एक सामायिक कविता  एक धरोहर जगत की। इस अतिसुन्दर रचना के लिए आदरणीया श्रीमती हेमलता जी की लेखनी को नमन। )

विश्व धरोहर दिवस अथवा विश्व विरासत दिवस (World Heritage Day) प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को मनाया  जाता है।  इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य  हैपूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लायी जा सके। अप्रत्याशित कारणों से 18 अप्रैल को हम ई- अभिव्यक्ति का अंक प्रकाशित न कर सके इसलिए इस कविता के विलम्ब से प्रकाशन के लिए हमें खेद है।

 ☆  विश्व धरोहर दिवस विशेष – एक धरोहर जगत की  ☆

 

विश्व धरोहर दिवस पर

बूढ़ा बरगद रोय

बोन्साई में ढल रहा

थाती सबकी होय

 

देवालय सजने लगे,

बड़ी दूर हैं देव

एक धरोहर जगत की

मानवता की ठेव!!

 

मानव के निर्माण हैं,

सात अजूबे देख!

ईश्वर के निर्माण की,

चित्रगुप्त रचे रेख!!

 

समय धार में बह गए,

राजा रंक फकीर!!

मीनारों ने कब लिखी,

अलग अलग तकरीर!!

 

तलवारों की तिश्नगी,

या तोपों की प्यास!

किले धराशायी हुए,

झूठ धरोहर आस!!

 

© हेमलता मिश्र “मानवी ” 

नागपुर, महाराष्ट्र

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