श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी “

(सुप्रसिद्ध, ओजस्वी,वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती हेमलता मिश्रा “मानवी” जी  विगत ३७ वर्षों से साहित्य सेवायेँ प्रदान कर रहीं हैं एवं मंच संचालन, काव्य/नाट्य लेखन तथा आकाशवाणी  एवं दूरदर्शन में  सक्रिय हैं। आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, कविता कहानी संग्रह निबंध संग्रह नाटक संग्रह प्रकाशित, तीन पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद, दो पुस्तकों और एक ग्रंथ का संशोधन कार्य चल रहा है। आज प्रस्तुत है श्रीमती  हेमलता मिश्रा जी  की  एक सार्थक एवं  भावप्रवण कविता  विवाह – – मन तेरे संग उड़ान पर इस अतिसुन्दर रचना के लिए आदरणीया श्रीमती हेमलता जी की लेखनी को नमन। )

 ☆  विवाह – – मन तेरे संग उड़ान पर ☆ 

विवाह बंधन—जीवन का अलिखित आलेख

पवित्र संस्कार सात जन्मों का

निरंकुश संबंधों पर उजास प्रतिबद्धता का

एक दिशांकन रिश्तों की गरिमा का

 

पवित्र अग्नि – – संग संग सात फेरे

विश्वासों की पावन परिधि में मानस प्रतिज्ञा

सात वचनों की वचनबद्धता

दायित्व अधिकार और कर्तव्य की द्विपक्षीय

भावुक अपेक्षा की अभिनंदनीयता

 

विवाह मात्र मन की उड़ान नहीं

सतरंगी सपनों की अगवानी नहीं

सारा गगनांगन मंडप और जग बराती नहीं

विवाह

रिश्तों संबंधों का सबसे तुल्य मंचन

मर्यादाओं का संज्ञान

हर सांस में जीवित विश्वास की अनुगुंजन

 

बिंदिया चूड़ियाँ, नथ मटरमाला मंगलसूत्र

हाथ की रेखाओं में गहरे तक दमकते हैं।

 महावर बिछिया पायल पैरों से

देहरी पुजवाते—मन की उड़ान थामते

 

चलें – –  साथी धवल चंद्र रश्मियां ढूंढे

हिम चोटियों से मन की बात करें

शांत स्निग्ध सौम्य सागर छलकांएं

विवाह बंधन के अलिखित संविधान

की अनुगूंज सुनें–गुनें

 

उगते सूरज की सिंदूरी लाली से

डूबते मार्तण्ड का ईतिवृत्  सुनें

जीवन पथ का सफर साथ गुनगुनाते

प्रयाण बेला चुनें

चलो साथी—चलें उडान भरें

 

© हेमलता मिश्र “मानवी ” 

नागपुर, महाराष्ट्र

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Shyam Khaparde

अच्छी रचना