हेमन्त बावनकर
☆ शब्द मेरे अर्थ तुम्हारे – 3 ☆ हेमन्त बावनकर☆
☆ अप्रवासी ! ☆
कुछ लोग
अमानवीय दर्द के साथ
पैरों में छाले लिए
हजारों मील चले गए
कुछ पहुँच गए
कुछ रास्ते में टूट गए
और
अपने ही देश में कहलाए गए
अंतरप्रांतीय !
अप्रवासी !
© हेमन्त बावनकर, पुणे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
भाई, दमदार अभिव्यक्ति