सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान”

सुश्री दीपिका गहलोत ” मुस्कान “ जी  मानव संसाधन में वरिष्ठ प्रबंधक हैं। एच आर में कई प्रमाणपत्रों के अतिरिक्त एच. आर.  प्रोफेशनल लीडर ऑफ द ईयर-2017 से सम्मानित । आपने बचपन में ही स्कूली शिक्षा के समय से लिखना प्रारम्भ किया था। आपकी रचनाएँ सकाळ एवं अन्य प्रतिष्ठित समाचार पत्रों / पत्रिकाओं तथा मानव संसाधन की पत्रिकाओं  में  भी समय समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। हाल ही में आपकी कविता पुणे के प्रतिष्ठित काव्य संग्रह  “Sahyadri Echoes” में प्रकाशित हुई है।  आज प्रस्तुत है शिक्षक दिवस पर उनकी विशेष कविता  – गुरु बिन ज्ञान नहीं )

?  शिक्षक दिवस विशेष – गुरु बिन ज्ञान नहीं ?

 

गुरु बिन ज्ञान नहीं जीवन में कोई

उस बिन मिलता सम्मान नहीं कहीं

ज्ञान का उस जैसा भंडार नहीं कोई

उस जैसी पदवी का नहीं विकल्प कहीं

उस जैसे दानी का उदारण नहीं कोई

सभी शिष्यों को परिपूर्ण करने की इच्छा रखता है वही

सभी है समान नज़रों में दिखाता नहीं भेदभाव कोई

कमजोर शिष्यों को भी लगाता हैं पार वही

दुखों से हार कर बैठ न जाओ कहीं

संघर्ष पूर्ण जीना सिखाता है वही

शिष्य जब कर जाता है नाम कोई

सबसे अधिक हर्षाता है गुरु वो ही

गुरु भी चाहता है ले ले ज्ञान पूर्णतया कोई

मिल जाए शिष्य एकलव्य सा जो कहीं

ज्ञान ऐसा सिखाना चाहते हैं वही

जो पग- पग पर काम आ जाए सही

गुरु की महिमा है अपार जो समझ ले कोई

बिन लालच के अपना भंडार लुटा देता है वही

उस गुरु का सम्मान करना चाहते हैं यहीं

जो पथ पदर्शन करवाता है सही

कोटि-२ प्रणाम करता हूँ तुमको जहाँ हो वहीं

स्वीकार लेना जो मैं हूँ तुम्हारा शिष्य सही

गुरु बिन ज्ञान नहीं जीवन में कोई

उस बिन मिलता सम्मान नहीं कहीं

 

© सुश्री दीपिका गहलोत  “मुस्कान ”  

पुणे, महाराष्ट्र

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Shyam Khaparde

शिक्षा प्रद रचना

Deepika Gahlot

धन्यवाद ?

Shrikant mirajkar

Very well explained about Guru and his importance in our life…

Deepika Gahlot

Thank you for kind words !