श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”
(आज प्रस्तुत है श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद” जी द्वारा रचित माँ गंगा पर आत्मप्रेरित रचना – गंगोत्री के उत्तुंग शिखर से गंगासागर तक।)
☆ गंगोत्री के उत्तुंग शिखर से गंगासागर तक ☆
गंगोत्री के उत्तुंग शिखर से,
आती हो बन पापनाशिनी।
कल कल करती, हर-हर करती,
बन जाती हो जीवनदायिनी।
तीव्र वेग से धवलधार बन
हरहराती, आती बल खाती।
चंचल नटखट बाला सी,
इतराती, इठलाती आती।
मन खिल उठता मेरा,
दिव्य रूप देखकर तेरा,
हर-हर गंगे, हर-हर गंगे।।
जब मैदानों में चलती हो,
तो मंथर-मंथर बहती हो।
अपने दुख अपनी पीड़ा को,
कभी व्यक्त न करती हो।
सब तीरथ करते अभिनंदन,
स्पर्श जब उनका करती हो।
सुबह शाम सब करते वंदन,
जब उनके मध्य तुम बहती हो।
जनमानस तेरा श्रद्धापूर्वक
करते रहते जय जयकार,
हर-हर गंगे हर-हर गंगे।।
तेरे पावन जल मिट्टी से,
समस्त जग है जीवन पाता।
वृक्ष अन्न फल-फूल धरा से,
गंग कृपा से, है उपजाता।
तीर्थराज का कर अभिनंदन,
जब काशी तुम आती हो।
अर्धचंद्र का रूप धर,
भोले का भाल सजाती हो।
मनोरम दृश्य देख, हो प्रसन्न
देवगण भी बोल उठते,
हर-हर गंगे, हर-हर गंगे।।
अपने पावन जल से मइया,
शिव का अभिषेक तुम करती हो।
भक्तों के पाप-ताप हरती,
जन-जन का मंगल करती हो।
सारा जनमानस काशी का,
हर हर बम बम बोल रहा है।
ज़र्रा ज़र्रा, बोल रहा है
हर हर गंगे, हर हर गंगे।।
सूर्यदेव की स्वर्णिम आभा,
जब गंगा में घुल जाती है।
स्वच्छन्द परिन्दो की टोली,
उनके ऊपर मंडराती है।
घाटों की नयनाभिराम झांकी,
बरबस मन को हरती है।
जाने अनजाने ह्रदय के भीतर
यह आवाज उभरती है।
हर-हर गंगे हर-हर गंगे।।
हर कहीं मन्दिरों के भीतर,
हर-हर नाद सुनाई देता।
कहीं अजानों की पुकार में,
वही तत्व दिखलाई देता।
गिरजों और गुरूद्वारों में भी,
वही छटा दिखाई देती।
हर जुबान हर दिल के भीतर,
वही आवाज़ सुनाई देती।
हर हर गंगे हर-हर गंगे।।
तेरा पावन जल ले अंजलि,
कोई श्रद्धांजलि देता है
कोई मुसलमां तेरा जल ले,
रोज़ वजू कर लेता है।
सिख ,ईसाई गंगा जल से
पूजा अपनी करते हैं।
सदा सर्वदा हर दिलसे
यही सदा सुनाई देती है।
हर-हर गंगे हर-हर गंगे।।
बहते-बहते मंथर-मंथर,
जब सागर में मिल जाती हो।
सागर का मान बढ़ाती,
गंगासागर कहलाती हो।
सागर की अंकशायिनी बन,
लहरों पे इठलाती हो।
उत्ताल तरंगें बोल उठती,
हर-हर गंगे हर-हर गंगे।।
© सुबेदार पांडेय “आत्मानंद”
संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208
मोबा—6387407266