श्री राजेन्द्र तिवारी
(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी जबलपुर से श्री राजेंद्र तिवारी जी का स्वागत। इंडियन एयरफोर्स में अपनी सेवाएं देने के पश्चात मध्य प्रदेश पुलिस में विभिन्न स्थानों पर थाना प्रभारी के पद पर रहते हुए समाज कल्याण तथा देशभक्ति जनसेवा के कार्य को चरितार्थ किया। कादम्बरी साहित्य सम्मान सहित कई विशेष सम्मान एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित, आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा वार्ताएं प्रसारित। हॉकी में स्पेन के विरुद्ध भारत का प्रतिनिधित्व तथा कई सम्मानित टूर्नामेंट में भाग लिया। सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहा। हम आपकी रचनाएँ समय समय पर अपने पाठकों के साथ साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय कविता ‘सीता की व्यथा…’।)
☆ कविता – सीता की व्यथा… ☆
मै,
भू पुत्री,
भू पर,
अबोध,असहाय,
पड़ी अकेली,
किसका दोष,
परिस्थिति,भाग्य,
सहलाया था,
हवा ने,
भाग्य था,
पा लिया,
जनक ने,
पाल लिया,
महलों में,
पुत्री बनी,
जनक की,
बड़ी हुई,
चिंता हुई,
विवाह की,
शर्त रखी,
धनुष भंग,
जो करे,
वो जीते,
सीता को,
पुष्प वाटिका,
राम मिले,
सीता ने,
मन को,
वार दिया,
धनुषभंग कर,
जीत लिया,
पाया नहीं,
राम ने,
कई सपने,
कई अरमान,
अवध में,
फिर वनवास,
छाया बनकर,
साथ चली,
पर क्या,
राम की,
हो पाई,
नारी पीड़ा,
हुई अपह्रत,
अशोक वाटिका,
केवल राम,
रावण वध,
सोच रही,
लेने आओगे,
नहीं आए,
संदेश आया,
पैदल आओ,
अग्नि परीक्षा,
देनी होगी,
नारी ही,
देती आई,
अग्नि परीक्षा,
पुरुष तो,
अहंकार में,
लिप्त है,
सह गई,
लोकाचार में,
अयोध्या में,
फिर परीक्षा,
फिर वनवास,
पुत्र जन्म,
बिन परीक्षा,
नहीं स्वीकार,
थक गई राम,
तुम्हें पाते पाते,
तुम मर्यादा पुरुषोत्तम,
की परिधि से,
बाहर नहीं निकले,
मै थक गई,
देवी बनते बनते,
तुमने मुझे जीता,
पाया नहीं राम,
मै लेती हूं राम,
पृथ्वी में विश्राम…
© श्री राजेन्द्र तिवारी
संपर्क – 70, रामेश्वरम कॉलोनी, विजय नगर, जबलपुर
मो 9425391435
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈