श्री अ. ल. देशपांडे

☆ कविता ☆ स्नेह का टच… ☆ श्री अ. ल. देशपांडे ☆

(आजकल सोशल मीडिया पर प्रतिदिन बेहद खूबसूरत और विचारणीय सुप्रभात संदेश आते हैं जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं। प्रस्तुत है श्री अ. ल. देशपांडे जी  की एक ऐसे ही सुप्रभात संदेश की काव्यात्मक प्रतिक्रिया।)

सुप्रभात संदेश:- 

अंगुलिया ही निभा रही है

रिश्ते आजकल

जुबां से निभाने का वक्त कहां है

सब टच में बिजी है

पर टच में कोई नही है

सुप्रभात 🙏🏻🙏🏻

काव्यात्मक प्रतिक्रिया :- 

 

विकास की आपाधापी में

रिश्ते हुए है दर किनार ,

 

अपने ही कुनबे में बंद है

नर ओर नार.

 

निभाने दो अंगुलियों को अपना धरम,

जेहन में पालो रिश्तों का करम.

 

ना दिखाओ केवल अंगूठा 👍🏻 अपनों को,

समझो अपनों की भावनाओं को.

 

वक्त से करो दोस्ती,

समय होता है बलवान

अपनों से रहो करीब

कहलाओगे सदा भाग्यवान.

 

यही होगा स्नेह का टच

पारिवारिक बंधन का यही होगा सच.

 

© श्री अ. ल. देशपांडे

अमरावती

मो. 92257 05884

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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