श्री प्रहलाद नारायण माथुर

( श्री प्रह्लाद नारायण माथुर जी अजमेर राजस्थान के निवासी हैं तथा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से उप प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। आपकी दो पुस्तकें  सफर रिश्तों का तथा  मृग तृष्णा  काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं तथा दो पुस्तकें शीघ्र प्रकाश्य । आज से प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा  जिसे आप प्रति बुधवार आत्मसात कर सकेंगे। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता शब्द की गाथा।) 
अभी हाल ही में आपकी नवीन पुस्तक ” Wing Commander Abhinandan Varthaman, a Real Hero” प्रकाशित हुई है जो कि अमेजन पर भी उपलब्ध है। आपको ई – अभिव्यक्ति परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें ।

 

Amazon India(paperback and Kindle) Link: >>>  मृग  तृष्णा  

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 11 – शब्द की गाथा

 

शब्द में समाया है फलसफा जिंदगी का,

शब्द में समाया है गम, शब्द में ही भरी है खुशी,

शब्द से मिलती अथाह पीड़ा, शब्द से ही भरता घाव ।।

 

शब्द रिश्तों में उलझन पैदा कराता,

शब्द राह में कांटे बिछाता, शब्द ही राह में फूल बिछाता,

शब्द रिश्तों में कराता टकराव, शब्द बढ़ाता रिश्तों में प्यार ।।

 

शब्द-जाल मधुमक्खी का छत्ता,

शब्द अपनों में जहर घोलता, शब्द ही अपनों में मधु घोलता,

शब्द बनाता अपने को पराया, शब्द बनाता पराये को अपना।।

 

तोड़ दो शब्दों का भ्रमजाल,

शब्द से वाणी पर रहे संयम, शब्दों में हो सबका मान,

शब्दों के निकाल दो विष बाण, शब्दों में हो सिर्फ अमृत वाण।|

 

©  प्रह्लाद नारायण माथुर 

8949706002
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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Shyam Khaparde

सुंदर रचना

प्रहलाद

श्याम जी आपका बहुत आभार एवं धन्यवाद।