श्री अमरेन्द्र नारायण

(हम ई-अभिव्यक्ति पर एक अभियान की तरह समय-समय पर  “संदर्भ: एकता शक्ति” के अंतर्गत चुनिंदा रचनाएँ पाठकों से साझा करते रहते हैं। हमारा आग्रह  है कि इस विषय पर अपनी सकारात्मक एवं सार्थक रचनाएँ प्रेषित करें। आज प्रस्तुत है श्री अमरेन्द्र नारायण जी की  एक विचारणीय कविता “सौहार्द्र बढ़ाने की बातें !”।)

☆  सन्दर्भ: एकता शक्ति ☆ सौहार्द्र बढ़ाने की बातें ! 

संकरी गलियों, चौराहों पर

भटकाने के दोराहों पर

रह-रह कर सुनने को मिलतीं

कुछ उकसाने वाली बातें

कुछ भड़काने वाली बातें

कुछ बिखराने वाली बातें!

 

हम शांति, अहिंसा के प्रेमी

शांति की अपेक्षा रखते थे

बर्बर मानस में क्रूर कुटिल

कुछ और इरादे पलते थे

 

स्वागत, सत्कार अतिथियों का

करते थे सहज सरलता से

पर कुटिल लुटेरों ने छीनी

शांति, सुविधा बर्बरता से

 

दुर्भाग्य हमारा, अंधकार ने

ज्योति को ही लील लिया

अपनों का भी तो दोष रहा

सुख चैन हमारा छीन लिया

 

विश्वासघात, छल, निर्ममता

को देश ने झेला है अब तक

अब अहित करेगा देश का जो

उसे याद रहेगा खूब सबक

 

नापाक इरादे वालों की

अब दाल न गलने पायेगी

इस देश की जनता जी भर कर

भर पेट सबक सिखलायेगी!

 

जो द्वेष की बातें कहते हैं

उकसाने और भड़काने की

उन लोगों की है खैर नहीं

कीमत देंगे बहकाने की!

 

इसलिये न कोई बात करे

लोगों को मूर्ख बनाने की

उल्लू सीधा अपना करके

अपनी दुकान चलवाने की!

 

बंद उन्हें करनी होगी

ये फुसलानेवाली बातें

ये लड़वाने वाली बातें

ये भड़काने वाली बातें!

 

जो नहीं मानते, उन सब की

जल्दी ही शामत आयेगी

यह सारी शेखी,चालाकी

कहीं धरी-धरी रह जायेगी!

 

हर गली, गांव चौपालों पर

हों प्रेम शांति की ही बातें

इस देश की प्रगति में मिल कर

हों हाथ बटाने की बातें

मिलजुल कर चलने की बातें!

सौहार्द्र बढ़ाने की बातें!

 

©  श्री अमरेन्द्र नारायण 

जबलपुर २४ नवम्बर २०२०

शुभा आशर्वाद, १०५५ रिज़ रोड, साउथ सिविल लाइन्स,जबलपुर ४८२००१ मध्य प्रदेश

दूरभाष ९४२५८०७२००,ई मेल [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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