श्री प्रहलाद नारायण माथुर
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 25 ☆ देश का गौरव हो तुम अभिनंदन ☆
देश का गौरव हो तुम अभिनंदन,
छूट कर पँजे से दुश्मन के घर को वापिस आ गए,
अभिनंदन, अभिनंदन है तुम्हारा ।।
चेहरे पर शिकन तक ना थी तुम्हारे ,
मातृभूमि के लिए अपनी जान पर तुम खेल गए,
अभिनंदन, अभिनंदन है तुम्हारा ।।
चेहरा आत्मविश्वास से भरा था तुम्हारा,
ख़ौफ़ तो पाक सैनिकों के चेहरे पर दिख रहा था,
अभिनंदन, अभिनंदन है तुम्हारा ।।
झुके नहीं, बिल्कुल टूटे नहीं तुम दुश्मन के सामने,
गजब का जज्बा दुनिया को तुमने दिखा दिया,
अभिनंदन, अभिनंदन है तुम्हारा ।।
चेहरे पर तुम्हारे लालिमा चमक रही थी,
आत्मविश्वास दिखा सबका दिल तुमने जीत लिया,
अभिनंदन, अभिनंदन है तुम्हारा ।।
© प्रह्लाद नारायण माथुर