हिन्दी साहित्य – कविता ☆ समय ☆ डॉ मौसमी परिहार
डॉ मौसमी परिहार
( डॉ मौसमी परिहार जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। 6 मार्च 1981 को संस्कारधानी जबलपुर में जन्मी डॉ मौसमी जी ने “डॉ हरिवंशराय बच्चन की काव्य भाषा का अध्ययन” विषय पर पी एच डी अर्जित। आपकी रचनाओं का प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन तथा आकाशवाणी और दूरदर्शन से नियमित प्रसारण। आकाशवाणी के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘युगवाणी’ तथा दूरदर्शन के ‘कृषि दर्शन’ का संचालन। रंगकर्म में विशेष रुचि के चलते सुप्रसिद्ध एवं वरिष्ठ पटकथा लेखक और निर्देशक अशोक मिश्रा के निर्देशन में मंचित नाटक में महत्वपूर्ण भूमिका अभिनीत। कई सम्मानों से सम्मानित जिनमें महत्वपूर्ण हैं वुमन आवाज सम्मान, अटल सागर सम्मान, महादेवी सम्मान हैं। संप्रति – रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक। हम भविष्य में आपकी चुनिंदा रचनाओं को ई- अभिव्यक्ति में साझा करने की अपेक्षा करते हैं। आज प्रस्तुत है उनकी एक अतिसुन्दर कविता ‘समय’ )
☆ कविता – समय ☆
समय ने आज पूछा…
मुझसे एक सवाल
क्यों, कैसी हो…?
क्या हैं तुम्हारे हाल….?
बुझी बुझी सी,
परेशानियों की
झुर्रियां लिये,
मैं देख रही थी
एक टक….,
घड़ी की सुइयों को,
जो हंस रही थी
मुझ पर,
मेरी हालत पर…!!
समय ने कहा…
“जरा एक बार,
अतीत को झांक तो जरा,”
और उठ समेट खुद को
मुझको तो हरा…!!
बीते कल में,
गुजरा बहुत कुछ,
क्यों भूलूँ उन,
अहसासों को…!!
जो बीता सुखद था
सब कुछ,,, दोष
क्यों दूं..
वक्त के पहरेदारों को…!!
© डॉ मौसमी परिहार, भोपाल