हिन्दी साहित्य – कविता ☆ स्त्री शक्ति ☆ – डॉ भावना शुक्ल
डॉ भावना शुक्ल
स्त्री शक्ति
स्त्री शक्ति स्वरूपा है
जगत रूपा है।
स्त्री की महिमा जग में अपार
थामी है उसने घर की पतवार
उसमे समाया ममता का सागर
जीवन भर भरती सदा स्नेह की गागर।
प्रेम दया करुणा की है मूर्ति
करती है हर रूपों में पूर्ति।
स्त्री ही है पालनहार
उसी से है जन्मा सकल संसार
स्त्री शक्ति की ललकार है
स्त्री
दुर्गा,लक्ष्मी,सरस्वती का है अवतार
मां ,बहन, बेटी है जग का सार।
स्त्री है सबसे न्यारी
है वो हर सम्मान की अधिकारी।
©डॉ.भावना शुक्ल