श्री पवन शर्मा परमार्थी
☆ कविता ☆ होली पर्व विशेष – हर्षोल्लास होली पर ☆ श्री पवन शर्मा परमार्थी ☆
लेकर हर्षोल्लास वसन्त में होली आई,
बच्चे, बूढ़े, जवां, दिलों पर रंगत छाई।
ठट्ठा करते, खेलें होली भर पिचकारी,
सब ही जगह पर मिलकर सबने धूम मचाई।
भाभी ने देवर को ज्यों ही आते देखा,
कुछ इठलाई, कुछ इतराई, कुछ शरमाई।
हल्ला करके लोग मूर्ख सम्मेलन करते,
हँसकर करें मजाक न देखें चाची, ताई।
रंग, गूलाल की कमी नहीं कोई फिर भी,
ले गारा कीच, खींच सबने थाप जमाई।
इक नार को थामे देखा हाथ में डण्डा,
विधुर, कुँवारे ब्याहे सबने दौड़ लगाई ।
वैमनस्य न पालो भैया कोई भी मन में,
सब मिलके खाओ खीर, पूड़ी और मिठाई ।
रंग गया तन-मन मेरा भी होली रंग में,
साथी बोले–“कैसे हो परमार्थी भाई ?”
© पवन शर्मा परमार्थी
कवि-लेखक, पूर्व-सम्पादक (परशुराम एक्सप्रेस, फ़ास्ट इंडिया) दिल्ली-110033, भारत ।
मो. 9911466020, 9354004140
Email : psparmarthikavi@gmail. com Tweeter : @parmarthipawan
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈