डॉ जसप्रीत कौर फ़लक

☆ कविता ☆ हमने तो… ☆ डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक 

हमने कुछ और ढूँढा था तुझमें

     हमने  समझा था 

प्यार का समन्दर हो तुम

    ख़बर नहीं  थी 

उजड़े सहरा का मंज़र हो तुम

    हम  तो   समझे   थे 

कि दिल   के   ख़ला को  भर जाओगे तुम

      यह   ख़बर  नहीं   थी

कि  और   भी तन्हा कर जाओगे तुम

 हमने तो कुछ और ढूँढा था तुझमें

        

हम  तो  समझे   थे

 कि इश्क़ की हक़ीक़त   हो   तुम

      यह   ख़बर  नहीं   थी 

  कि  रेत  पे लिखी इबारत हो तुम

 

हमने तो कुछ और ढूँढा था तुझमें

     हम तो समझे  थे 

कि प्यार पहली की शबनम हो तुम

     यह  ख़बर  नहीं  थी 

कि  पतझड़ का मौसम  हो  तुम

हमने तो कुछ और ढूँढा था तुझमें

 

हम  तो  समझे  थे 

कि प्यार में भीगा अहसास हो तुम

     यह ख़बर नहीं थी

कि नदी नहीं सिर्फ़ प्यास  हो  तुम

हमने तो कुछ और ढूँढा था तुझमें

 

हम तो समझे थे

कि तेरी  आँखों  में

कशिश, प्यार का काजल होगा

यह  ख़बर  नहीं   थी 

कि  तेरा  दिल

अतीत के दुखों से बोझल होगा

हमने तो कुछ और ढूँढा था तुझमें

 

हम  तो  समझे  थे 

कि  तुम्हें   सिर्फ़ एक  तारे  से   मुहब्बत  है

यह    ख़बर  नहीं   थी 

कि  तुम्हें  तो फ़लक सारे से मुहब्बत है।

 डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक

संपर्क – मकान न.-11 सैक्टर 1-A गुरू ग्यान विहार, डुगरी, लुधियाना, पंजाब – 141003 फोन नं – 9646863733 ई मेल – jaspreetkaurfalak@gmail.com

≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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