श्री कपिल साहेबराव इंदवे
(युवा एवं उत्कृष्ठ कथाकार, कवि, लेखक श्री कपिल साहेबराव इंदवे जी का एक अपना अलग स्थान है. आपका एक काव्य संग्रह प्रकाशनधीन है. एक युवा लेखक के रुप में आप विविध सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने के अतिरिक्त समय समय पर सामाजिक समस्याओं पर भी अपने स्वतंत्र मत रखने से पीछे नहीं हटते. आज प्रस्तुत है समसामयिक विषय पर आधारित एक कविता हाँ, तू इंसान है।)
☆ कविता – हाँ, तू इंसान है ☆
किरदार बदले,
सूरतें बदली,
जगह बदली शहर भी
लेकिन,
काम वही,
अंज़ाम वहीं
काम भी इतना घिनौना
कि हैवानियत भी शर्मसार हो जाए
ख़ुद को समझने वाले इन्सान को देखकर
जानवर भी ख़ुदकुशी कर जाए
हे इन्सान,
सदियों से नारी को
तूने कमज़ोर बनाया है
कभी निर्भया, आसिफा,
कभी प्रियंका, मनीषा
न जाने कितने नामों को सताया है।
ख़ुद बुराई भी जिसके खिलाफ़ खड़ी हो
ऐसा घिनौना काम हुआ हैं
कई शहरों के नाम बदले
हर जगह एक ही अंजाम हुआ है
हैवानो से भी उपर उठकर
इन्सान तेरे कर्म हैं
इंसानियत तूझमे जिंदा ही नहीं
ऐसा तू बेशर्म हैं।
हे,
इंसानियत के नाम पर कलंक
क्या तुझमें दिल नहीं,
किसी मासूम की चीत्कार से
तेरा कलेजा फट जाता नहीं,
सिर्फ एक बार सोच कर देख
तू इन्सान है
हाँ,
तू इन्सान है।
© कपिल साहेबराव इंदवे
मा. मोहीदा त श ता. शहादा, जि. नंदुरबार, मो 9168471113