सुश्री सुलक्षणा मिश्रा
( ई- अभिव्यक्ति में युवा साहित्यकार सुश्री सुलक्षणा मिश्रा जी का हार्दिक स्वागत है। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “हम तुम”। )
☆ कविता – हम तुम ☆
तुम सपनों के सौदागर
मैं शब्दों की बाजीगर।
तुम सजाते मेले
सपनों के
मैं दिखलाती करतब
शब्दों के।
जो हृदय चुभे
कोई शूल तुम्हें
मैं शब्दों से मरहम देती हूँ।
राह हो तुम्हारी
जब कंटक भरी
मैं शब्दों से
मखमल कर देती हूँ।
दिख जाए बस
एक मुस्कान तुम्हारी
तो सब कुछ मैं
न्यौछावर कर देती हूँ।
जो छलक उठे
एक अश्क तुम्हारा
मीन बिन नीर सी
तड़प उठती हूँ।
मैं नियत से हूँ
तुम्हारी ही
नियति से मैं हारी हूँ।
तुम कृष्ण हो मेरे
पूरे से
मैं राधिका तुम्हारी
अधूरी सी।
© सुश्री सुलक्षणा मिश्रा
संपर्क 5/241, विराम खंड, गोमतीनगर, लखनऊ – 226010 ( उप्र)
मो -9984634777
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
बहुत सुंदर भाव ??