श्री बलजीत सिंह ‘बेनाम’
(श्री बलजीत सिंह ‘ बेनाम ‘ जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। विभिन्न मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ। कई मंचों द्वारा सम्मानित। सम्प्रति – संगीत अध्यापक। आज प्रस्तुत है आपकी एक बेहतरीन ग़ज़ल )
☆ कविता ☆ ग़ज़ल ☆ श्री बलजीत सिंह ‘बेनाम’ ☆
ज़ियादा न मुश्किल का इम्कान रख
नज़र में नए रोज़ सौपान रख
सदा तूने औरों की धड़कन सुनी
कभी मेरी धड़कन का भी ध्यान रख
वो तेरा सनम या कोई ग़ैर है
मोहब्बत में इतनी तो पहचान रख
वफ़ाओं के रोशन सदा दीप कर
कभी दिल की राहें न सुनसान रख
अभी रस ज़माने में बिखरा कहाँ
कहा किसने उपनाम रसख़ान रख
© श्री बलजीत सिंह ‘बेनाम’
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