हिन्दी साहित्य – कविता -☆ ज़िन्दगी… एक किताब ☆ – डॉ. मुक्ता
डॉ. मुक्ता
(डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं। प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी की जीवन के प्रति एक दार्शनिक दृष्टिकोण लिए कविता “जिंदगी ……. एक किताब”।
☆ ज़िन्दगी… एक किताब ☆
ज़िन्दगी एक किताब है
और समय परिवर्तनशील
पल-पल रंग बदलता
आग़ाह करता व संदेश देता
बुरे समय में मत थामो
निराशा का दामन
न ही बंद करो आंखें
बगुले की मानिंद
किताब का अगला पन्ना खोलो
पढ़ो और नए अध्याय की
शुरुआत करो
विपत्ति में मत छोड़ो
धैर्य व साहस का आंचल
अनवरत संघर्षरत रहो
यही जीवन में सफलता पाने का
सर्वोत्तम साधन
मत भूलो!
समय,सत्ता,धन, शरीर नश्वर हैं
नहीं साथ देते किसी का उम्रभर
सांसों की भांति घटते जाते
हर दिन,हर पल
अच्छा स्वभाव व सद्व्यवहार
ईमानदारी और समझदारी
जीवन को समुन्नत करते
अध्यात्म की राह पर
निरंतर चलना सिखलाते
आजीवन हमसफ़र बन
साथ निभाते
विश्वास करो स्वयं पर
यही जीवन में
सामंजस्यता व समरसता लाते
अलौकिक आनंद बरसाते
© डा. मुक्ता
पूर्व निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी, #239,सेक्टर-45, गुरुग्राम-122003 ईमेल: drmukta51@gmail.com