डॉ जसप्रीत कौर फ़लक

सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ जसप्रीत कौर फ़लक जी का ई-अभिव्यक्ति में स्वागत है। प्रस्तुत है आपका संक्षिप्त परिचय एवं ई-अभिव्यक्ति में प्रथम भावप्रवण रचना लफ़्ज़ों के चराग़।   

परिचय 

शिक्षा– B.Sc ,M.A.English ,B.Ed, M.A.Hindi ,M.Ed, Ph.d

शोधकार्य (अटल बिहारी वाजपेयी के काव्य में सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना)

  • हिन्दी मौलिक काव्य संग्रह – चुप का गीत (2013), रेत पर रंगोली (2018) इश्क समंदर तो नहीं (2022) कैनवस के पास(2024)
  • अनुवादित पंजाबी काव्य संग्रह- मरजाणियाँ (2017)
  • अनुवादित अंग्रेजी काव्य संग्रह- A portrait Sans Frame (2021) अठवें रंग दी तलाश (मौलिक पंजाबी काव्य संग्रह,2021) संपादित हिन्दी काव्य संग्रह- नारी हर युग में हारी(2023)

अनुवादक कार्य – प्रो. मोहन सिंह की कविताओं का हिन्दी अनुवाद बीस पंजाबी कवियों की पाँच-पाँच कविताओं का अनुवाद o बलबीर साहनेवाल के पंजाबी उद्धरण का हिन्दी में अनुवाद

  • राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में हिस्सा लेने के साथ-साथ मुशायरों, टेलीविजन,आकाशवाणी के कवि सम्मेलन में शामिल होना लगातार जारी है। कई शोध पत्र एवं पुस्तक समीक्षायें प्रतिष्ठित अखबारों में प्रकाशित होती रहती हैं।
  • “कविता कथा कारवाँ ” (रजि) साहित्यिक संस्था की प्रधान
  • कथा कारवाँ पब्लिकेशनस (रजि), लुधियाना (पंजाब) की संचालिका

सम्मान – पंजाब गौरव, सोझन्ती कवयित्री(2018), अमृता प्रीतम सम्मान, गोल्ड मैडल(2019),राज्य कवि उदय भानू हंस(2019 हरियाणा से),श्री शारदा शताब्दी सम्मान 2021, सरोजिनी नायडू सम्मान (2022), गणतंत्र दिवस पर जिला स्तरीय सम्मान (2021,2023), कबीर कोहिनूर सम्मान (2023, 2024), राष्ट्र गौरव सम्मान (2023) साहित्य रत्न सम्मान (2023), इण्डो-थाई गौरव सम्मान(2023 बैंकॉक से), स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर जिला स्तरीय पुरस्कार(2023),राज भाषा गौरव सम्मान (2023), पंजाब दी धी (2023) अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ‘हिन्दी की गूंज’, जापान से “सशक्त महिला सम्मान” से अलंकृत(8 मार्च 2024) प्रमुख हैं।

 NEP शिक्षा नीति के निर्देशानुसार ‘बचपन’ नामक कविता “नयी नुहार” अभ्यास पुस्तिका में शामिल

कविता – लफ़्ज़ों के चराग़ ☆ डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक 

अन्धेरे ही धोखा नहीं देते

हद से ज़्यादा रौशनी भी देती है फ़रेब

आँखों में चुभती है

मन को छल्ती है

अन्धेरे से तो

इन्सान शिकायत भी कर सकता है

रौशनी से क्या कहे?

*

जुगनुँओं की रौशनी में

 नज़र आती नहीं मंज़िल

और

जिनके पास चाँद/ सूरज हैं

जानते हैं

वो रौशनी की क्या क़ीमत माँगते हैं

मर्यादा  की  सारी  हदें  लांघते हैं

उन्हें नहीं है किसी की तन्हाई का दुख

उन्हें नहीं है कोई शिकस्ता पाई का दुख

*

ऐसे लोग

मुनाफ़िक़ हैं, संग दिल हैं

फ़न के क़ातिल हैं

वो चाहते हैं

हमारी मुट्ठी में रहें

सारे सितारे,सारे जुगनूँ

*

मगर अब मैं

 समझ गयी हूँ उनकी फ़ितरत

मुझे नहीं है ऐसी रौशनी की ज़रूरत

 मैं ख़ुश हूँ

मेरे पास है लफ़्ज़ों के चराग़

 इल्म की रौशनी ।

 

© डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक

संपर्क – मकान न.-11 सैक्टर 1-A गुरू ग्यान विहार, डुगरी, लुधियाना, पंजाब – 141003 फोन नं –  9646863733 ई मेल- [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_printPrint
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments