महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.१९॥ ☆
स्थित्वा तस्मिन वनचरवधूभुक्तकुञ्जे मुहूर्तं
तोयोत्सर्गद्रुततरगतिस तत्परं वर्त्म तीर्णः
रेवां द्रक्ष्यस्य उपलविषमे विन्ध्यपादे विशीर्णां
भक्तिच्चेदैर इव विरचितां भूतिम अङ्गे गजस्य॥१.१९॥
जहां के लता कुंज हों आदिवासी
वधू वृंद के रम्य क्रीड़ा भवन हैं
वहां दान पर्जन्य का दे वनो को
विगत भार हो आशु उड़ते पवन में
तनिक बढ़ विषम विन्ध्य प्रांचल प्रवाही
नदी नर्मदा कल कलिल गायिनी को
गजवपु उपरि गूढ़ गड़रों सरीखी
लखोगे वहां सहसधा वाहिनी को
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈