महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.२०॥ ☆

 

तस्यास तिक्तैर वनगजमदैर वासितं वान्तवृष्टिर

जम्बूकुञ्जप्रतिहतरयं तोयम आदाय गच्चेः

अन्तःसारं घन तुलयितुं नानिलः शक्ष्यति त्वां

रिक्तः सर्वो भवति हि लघुः पूर्णता गौरवाय॥१.२०॥

जल रिक्त घन , वन्य गजमद सुवासित

सघन जम्बुवन रुद्ध रेवा सलिल को

पी हो अतुल , क्योकि पाते सभी रिक्त

लघुता तथा मान पा पूर्णता को

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments