श्री आशिष मुळे
☆ कविता ☆ “तू रात सुहानी…” ☆ श्री आशिष मुळे ☆
सदियों से चलकर
रूह से गुजरकर
चली लंबी ये कहानी
मै जलता दिन, तू रात सुहानी….
गलियों से गुजरकर
खिड़की से झांककर
खेले मुझसे वो दीवानी
मै जलता दिन, तू रात सुहानी….
कभी..न मिलकर
मिलके भी..मिटकर
सपनों में समझाती कहानी
मै जलता दिन, तू रात सुहानी….
फिर मैं भी थककर
गुजरु भीड़ में खोकर
दिखे इक चेहरा नूरानी
मै जलता दिन, तू रात सुहानी….
© श्री आशिष मुळे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈