महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.४२॥ ☆

 

तां कस्यांचिद भवनवलभौ सुप्तपारावतायां

नीत्वा रात्रिं चिरविलसनात खिन्नविद्युत्कलत्रः

दृष्टे सूर्ये पुनरपि भवान वाहयेदध्वशेषं

मन्दायन्ते न खलु सुहृदामभ्युपतार्थकृत्याः॥१.४२॥

सतत लास्य से खिन्न विद्युत लतानाथ

वह निशि वहीं भवन छत पर बिताना

कहीं एक पर , जहाँ पारावतों को

सुलभ हो सका हो शयन का ठिकाना

बिता रात फिर प्रात , रवि के उदय पर

विहित मार्ग पर तुम पथारूढ़ होना

सखा के सुखों हेतु संकल्प कर्ता

है सच , जानते न कभी मन्द होना

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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