महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.४४॥ ☆

 

गम्भीरायाः पयसि सरितश चेतसीव प्रसन्ने

चायात्मापि प्रकृतिसुभगो लप्स्यते ते प्रवेशम

तस्माद अस्याः कुमुदविशदान्य अर्हसि त्वं न धैर्यान

मोघीकर्तुं चटुलशफोरोद्वर्तनप्रेक्षितानि॥१.४४॥

 

मन सम तरल स्वच्छ जल में गंभीरा

नदी धार लेगी प्रकृत छबि तुम्हारी

कुमुद शुभ्र चंचल चपल मीन प्लुति दृष्टि

उसकी उपेक्षा न हो धैर्य धारी

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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