महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.४६॥ ☆
त्वन्निष्यन्दोच्च्वसितवसुधागन्धसम्पर्करम्यः
स्रोतोरन्ध्रध्वनितसुभगं दन्तिभिः पीयमानः
नीचैर वास्यत्य उपजिगमिषोर देवपूर्वं गिरिं ते
शीतो वायुः परिणमयिता काननोदुम्बराणाम॥१.४६॥
जलासेक से तब मुदित, धरणि उच्छवास
मिश्रित पवन रम्य शीतल सुखारी
जिसे शुण्ड से पान करते द्विरद दल
सध्वनि , पालकी ले बढ़ेगा तुम्हारी
तुम्हें देवगिरि पास गमनाभिलाषी
वहन कर पवन मंद गति से चलेगा
कि पा इस तरह सुखद वातावरन को
वहां पर सपदि वन्य गूलर पकेगा
शब्दार्थ … जलासेक = पानी की फुहार
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈