महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.४७॥ ☆
तत्र स्कन्दं नियतवसतिं पुष्पमेघीकृतात्मा
पुष्पासारैः स्नपयतु भवान व्योमगङ्गाजलार्द्रैः
रक्षाहेतोर नवशशिभृता वासवीनां चमूनाम
अत्यादित्यं हुतवहमुखे संभृतं तद धि तेयः॥१.४७॥
वहाँ पर स्वयं पुण्य घन व्योम गंगा
सलिल सिक्त तुम पुष्प वर्षा विमल से
नियतवास स्कन्द को देवगिरि पर
प्रथम पूजना मित्र कुछ और चल के
षडानन वही इन्द्र की सैन्य रक्षार्थ
जिनको स्वयं शम्भु ने था बनाया
रवि से प्रभापूर्ण , अति तेज वाले
जिन्होंने अनल मुख से था जन्म पाया
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈