महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.५९॥ ☆
तत्र व्यक्तं दृषदि चरणन्यासम अर्धेन्दुमौलेः
शश्वत सिद्धैर उपचितबलिं भक्तिनम्रः परीयाः
यस्मिन दृष्टे करणविगमाद ऊर्ध्वम उद्धूतपापाः
कल्पिष्यन्ते स्थिरगणपदप्राप्तये श्रद्दधानाः॥१.५९॥
वहाँ शिला अंकित , सतत सिद्ध पूजित ,
चरण चिन्ह शिव के परम भाग्यकारी
करना परीया विनत भावना से
वे हैं पुण्यदायी सकल पापहारी
जिनके दरश मात्र से भक्तजन पाप
से मुक्त हो , जगत से मुक्ति पाते
तज देह को , मृत्यु के बाद दुर्लभ
अमरगण पद प्राप्ति अधिकार पाते
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈