महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.६६॥ ☆
हेमाम्भोजप्रसवि सलिलं मानसस्याददानः
कुर्वन कामं क्षणमुखपटप्रीतिम ऐरावतस्य
धुन्वन कल्पद्रुमकिसलयान यंशुकानीव वातैर
नानाचेष्टैर जलदललितैर निर्विशेस तं नगेन्द्रम॥१.६६॥
जल पान कर , मान सर का जहाँ पर
कमल पुष्प वन , स्वर्ण से उगते हैं
या स्वेच्छगज इन्द्र के मुक पटल पर
छा जिस तरह झूल मुंह चूमते हैं
या झूमते कल्पद्रुम किसलयों को
कि ज्यों वस्त्र कंपित पवन मंद द्वारा
विविध भाँति क्रीड़ा निरत हो , जलद तुम
रहो प्रेम से शैल का ले सहारा
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈