महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.२३॥ ☆
नूनं तस्याः प्रबलरुदितोच्चूननेत्रं प्रियाया
निःश्वासानाम अशिशिरतया भिन्नवर्णाधरोष्ठम
हस्तन्यस्तं मुखम असकलव्यक्ति लम्बालकत्वाद
इन्दोर दैन्यं त्वदनुसरणक्लिष्टकान्तेर बिभर्ति॥२.२३॥
गये सूज होंगे विरह में मेरे नित्य
अविकल रुदन से नयन उस प्रिया के
होंगे अधर श्याम , जलते हृदय की
व्यथित श्वांस गति की उष्णता से
कर से हटाते हुये श्याम अलकें
प्रलंबित गिरीं घिरीं अपने वदन से
दिखेगी मेरी प्रियतमा , मेघ तुमको
वहाँ ज्यों मलिन इंदु तव आवरण से
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈