महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.३८॥ ☆
भर्तुर मित्रं प्रियम अविधवे विद्धि माम अम्बुवाहं
तत्संदेशैर हृदयनिहितैर आगतं त्वत्समीपम
यो वृन्दानि त्वरयति पथि श्रम्यतां प्रोषितानां
मन्द्रस्निग्धैर ध्वनिभिर अबलावेणिमोक्षोत्सुकानि॥२.३८॥
सुभगे सखा स्वामि का मै तुम्हारे
गया सुखद संदेश लेकर पठाया
संजोये सखा की सभी भावनाये
सुनाने यहां तुम्हारे पास आया
मै हूं मेघ अबला जनो का सहायक
जो सान्द्र रव से मिलन गीत गाता
प्रिया मिलन की मन लगी लगनवाले
थके पान्थ को आशु पथ में चलाता
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈