महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.३९॥ ☆
इत्य आख्याते पवनतनयं मैथिलीवोन्मुखी सा
त्वाम उत्कण्ठोच्च्वसितहृदया वीक्ष्य सम्भाव्य चैव
श्रोष्यत्य अस्मात परम अवहिता सौम्य सीमन्तिनीनां
कान्तोदन्तः सुहृदुपनतः संगमात किंचिद ऊनः॥२.३९॥
सुन इस तरह ज्यों कि सीता पवन पुत्र
के प्रति प्रफुल्लित तुरत मुंह उठाकर
तुम्हें देखकर और सत्कार कर मित्र
होगी परम मुग्ध विष्वास पाकर
सुनेगी बडे ध्यान से सौम्य सारा
है शंका न इसमें तनिक और क्यो हो
स्वप्रिय का संदेशा परम मित्र के मुख
मिलन से न कुछ न्यून है नारियों को
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈