महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.४१॥ ☆

 

अङ्गेनाङ्गं प्रतनु तनुना गाढतप्तेन तप्तं

सास्रेणाश्रुद्रुतम अविरतोत्कण्ठम उत्कण्ठितेन

उष्णोच्च्वासं समधिकतरोच्च्वासिना दूरवर्ती

संकल्पैस तैर विशति विधिना वैरिणा रुद्धमार्गः॥२.४१॥

दुर्देव से है रूंधी राह जिसकी

कि वह दूरवासी यही जानता है

स्वतः क्षीण तन से जलन से नयन से

तुम्हें भी विकल पर प्रबल मानता है

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
अमरेन्द्र नारायण

मधुर पद्यानुवाद षढ़ कर आनंद आ गया।
सादर प्रणाम बाबूजी