महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.४५॥ ☆
माम आकाशप्रणिहितभुजं निर्दयाश्लेषहेतोर
लब्धायास ते कथम अपि मया स्वप्नसन्दर्शनेषु
पश्यन्तीनां न खलु बहुशो न स्थलीदेवतानां
मुक्तास्थूलास तरुकिसलयेष्व अश्रुलेशाः पतन्ति॥२.४५॥
कभी स्वप्न ने प्राप्त तुम निर्दया के
लिये शून्य मे मम उठे हाथ लखकर
वन देवियो के भी हैं अश्रु झरते
सदा मोतियों सम लता पल्लवों पर
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈