महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.४७॥ ☆
संक्षिप्यन्ते क्षन इव कथं दीर्घयामा त्रियामा
सर्वावस्थास्व अहर अपि कथं मन्दमन्दातपं स्यात
इत्थं चेतश चटुलनयने दुर्लभप्रार्थनं मे
गाढोष्माभिः कृतम अशरणं त्वद्वियोगव्यथाभिः॥२.४७॥
कैसे घटे यह महारात्रि क्षण सम
दिवस भी तथा किस तरह शांतिप्रिय हो
हे चपल नयने तुम्हारे विरह की
जलन ने किया व्यथित मेरे हृदय को
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈