महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.४८॥ ☆
नन्व आत्मानं बहु विगणयन्न आत्मनैवावलम्बे
तत्कल्याणि त्वम अपि नितरां मा गमः कातरत्वम
कस्यात्यन्तं सुखम उपनतं दुःखम एकान्ततो वा
नीचैर गच्चत्य उपरि च दशा चक्रनेमिक्रमेण॥२.४८॥
सच कई तरह सोचकर तर्कना से
स्वंय ही प्रिये धैर्य में धारता हॅू
तो तुम भी हे कल्याणी मत धैर्य खोना
न हो अधिक आतुर यही चाहता हॅू
किसको मिला सुख सदा या भला दुख
दिवस रात इनके चरण चूमते है
सदा चक्र की परिधि की भांति क्रमशः
जगत में से दोनो रहे घूमते है
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈