महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.४९॥ ☆

 

शापान्तो मे भुजगशयनाद उत्थिते शार्ङ्गपाणौ

शेषान मासान गमय चतुरो लोचने मीलयित्वा

पश्चाद आवां विरहगुणितं तं तम आत्माभिलाषं

निर्वेक्ष्यावः परिणतशरच्चन्द्रिकासु क्षपासु॥२.४९॥

 

मेरी शाप की अवधि का अंत होगा

भुजग शयन से जब उठेगें मुरारी

अतः इस विरह के बचे चार महिने

नयन मूंदकर लो बिता शीघ्र प्यारी

फिर विरह दिन में बढी लालसाये

सभी पूर्ण होगी हमारी भवन में

सुख भोग होगें मिलेगें कि जब हम

शरद चन्द्रिकामय सुहानी रजनि में

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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