महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.५१॥ ☆
एतस्मान मां कुशलिनम अभिज्ञानदानाद विदित्वा
मा कौलीनाद असितनयने मय्य अविश्वासिनी भूः
स्नेहान आहुः किम अपि विरहे ध्वंसिनस ते त्व अभोगाद
इष्टे वस्तुन्य उपचितरसाः प्रेमराशीभवन्ति॥२.५१॥
अतः इन विविध बोध संकेत द्वारा
कुशल जान मुझको न हो मन मलीना
अविश्वासिनी हो न तुम प्राण मुझ पर
मैं हॅू उच्च कुल और तुम भी कुलीना
कहा है किसी ने विरह में अमर प्रेम
है ध्वस्त होता मिलन भूल जाता
वरन बात विपरित प्रिय के विरह में
है प्रेमी हृदय प्रेम का रूप पाता
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈