महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.५२॥ ☆
आश्वास्यैवं प्रथमविरहोदग्रशोकां सखीं ते
शैलाद आशु त्रिनयनवृषोत्खातकूटान निवृत्तः
साभिज्ञानप्रहितकुशलैस तद्वचोभिर ममापि
प्रातः कुन्दप्रसवशिथिलं जीवितं धारयेथाः॥२.५२॥
पहले विरह से अधिक शोकआकुल
सखी को तेा अपनी बंधा धैर्य भाई
शिव के वृषभ श्रृंग से छिन्न उत्खात
कैलाश से शीघ्र लेकर बिदाई
ता क्षेम संदेश मम प्रियतमा से
जो प्रेषित किन्ही बोध संकेत द्वारा
प्रातः सुमन कुंद सम क्षीण होते
मेरे प्राण तन का मिला दो सहारा
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈