॥ श्री रघुवंशम् ॥

 

॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग # 1 (6-10) ॥ ☆

देवोपासक    यथोचित   याचक  को  दे  दान

दुष्टों को जो दण्ड दें, समयोचित धर ध्यान ॥ 6 ॥

 

जिनका धन नित दान हितं, मितभाषी सद्धर्म

यशोकामना से विजय, प्रजा हेतु गृहकर्म ॥ 7॥

 

शैशव  विद्याध्यास  में, यौवन  में अनुराग

वानप्रस्थ ढलती उमर, योगी हो तब त्याग ॥ 8॥

 

ऐसे रघुकुल नृपों का सुनकर सुयश महान

होकर उत्सुक, प्रेरित, करता हूँ गुणगान ॥ 9॥

 

गुण – अवगुण की परख खुद करें सुधी श्रीमान

सोने की गुण – दोष की अग्नि करे पहचान ॥ 10॥

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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