॥ श्री रघुवंशम् ॥

॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग # 1 (86-90) ॥ ☆

पुण्य दर्शनी धेनु लख शकुन सुखद अनुमान

मुनिवर बोले नृपति से, सफल मनोरथ मान ॥ 86॥

 

सिद्धि न कोई दूर है हो राजन विश्वास

नाम लिये ही आ गई कल्याणी लो पास ॥ 87॥

 

वन में कर गो अनुगमन वनचर बन रह पास

करें प्रसन्न इन्हें यथा विद्या को अभ्यास ॥ 88॥

 

इनके चलते ही चलें, रूकने पै रूक जाँय

जल पीने पर जल पियें बैठे तब सुस्ताँय ॥ 89॥

 

भक्तिभाव से वधू भी कर पूजन अविराम

वन को जॉयें प्रात प्रति, लौटे सँग में शाम ॥ 90॥

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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