डॉ प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव 

☆ मैं तेरा प्रणय तपस्वी आया हूँ ☆

(डॉ प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव जी का e-abhivyakti में स्वागत है। इस अत्यंत भावप्रवण प्रणय गीत  ☆ मैं तेरा प्रणय तपस्वी आया हूँ ☆की रचना के लिए डॉ प्रेम कृष्ण जी को हार्दिक बधाई। हम आपसे आपकी विभिन्न विधाओं की चुनिन्दा रचनाओं की अपेक्षा करते हैं। )

 

प्रिय उर वीणा के तार छेड़नें,

मैं तेरा प्रणय तपस्वी आया हूँ।

निज मन तेरे मन से मिला दूंगा,

मैं तेरा नेह मनस्वी आया हूँ।।

 

मैं निज उर वीणा के तार प्रिये,

तेरे ह्रदतन्त्री से मिलाने आया हूँ।

प्रिय प्रेमज्योति मैं बुझने न दूंगा,

मैं नेह का दीप जलाने आया हूँ।।

 

न होने पाए काया का विगलन,

मैं प्रेम अमृत पिलाने आया हूँ।

यौवन विगलित मैं न होने दूंगा,

मैं तेरा प्रीति यशस्वी आया हूँ।।

 

है करता प्रेम नवजीवन सर्जन,

प्रेम से होता विश्व का संचालन।

तेरा प्रेम मैं कभी न मरने दूंगा,

मैं तेरा प्रेम तपस्वी आया हूँ।।

 

है  प्रेम यहॉ यौवन का अर्जन,

है प्रेमय हॉ अंतर्मन का बंधन।

मैं नफरत यहां न फैलने दूंगा,

मैं तेरी प्रेम संजीवनी लाया हूँ।।

 

मन है जीवन के मरु में प्यासा,

है जीवन में विसरित घोर निराशा,

तनमन का उपवन महका दूंगा,

मैं निर्झर तेरे प्रेम का लाया हूँ।।

 

हैं शूल यहां हर पथ में बिछे,

हैं प्रस्तर यहां हर पंथ चुभे।

फूल यहॉ हर पंथ बिछा दूंगा,

मैं ऋतुराज बसंत लाया हूँ।।

 

मन क्यों अवसादग्रस्त होता,

तन भी क्यों है क्लांत हुआ।

तनमन सोने सा चमका दूंगा,

मैं पारस निज नेह का लाया हूँ।।

 

प्रिय उर वीणा के तार छेड़नें,

मैं तेरा प्रणयतपस्वी आया हूँ।।

 

© डॉ प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव

 

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अशोक नरूका

दिल को छू लेने वाली साहित्यिक रचना डॉ प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव नित्य प्रतिदिन एक से एक नई कविताएं जो सामयिक भी हैं सामाजिक कारणों को भी स्पष्ट करती हैं और जीवन की बहुत सारी विधाओं को और मन में उठने वाली तरंगों का विवरण भी बहुत ही अच्छी तरह से प्रस्तुत करती हैं जब जब भी इन की कविता पढ़ता हूं दिल को बड़ी राहत मिलती है फिर से इंतजार करूंगा उनकी किसी अन्य रचना का

Dr. Prem Krishna Srivastav

धन्यबाद नरूका जी

कंचन

इतनी अच्छी कविता लिखने के लिए धन्यवाद

Arun prakash

डा प्रेम कृष्ण की यह कविता प्रणय की तरंगों से ओतप्रोत है ।इसको पढकर अनायास ही प्रेम रुपी नदी के बहाव मे मन बह जाता है ।कल्पना लोक मे विचरण करने और करने वले डा प्रेम कृष्ण की अनेक विषयो की कविता का मैं प्रशंशक ,फैन हूं।

Dr. Prem Krishna Srivastav

धन्यबाद अरूण प्रकाश जी। प्रेरणास्रोत हैं ऐसी टिप्पणियां।

Sujata Kale

बहोत बढ़िया ….

Dr. Prem Krishna Srivastav

धन्यबाद सुजाता जी