हिन्दी साहित्य – कविता – ☆ बस देखते देखते …. ☆ – डॉ प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव
डॉ प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव
☆ बस देखते देखते …. ☆
न तुमने मुझको धोखा दिया
न मैंने तुमको धोखा दिया
बस देखते देखते हम फ़ना हो गए।
न तुमने मुझसे कोई वादा किया
न मैंने तुमसे कोई वादा किया
बस रफ्ता रफ्ता हम जुदा हो गए।
न तुमने मुझको खोजा कभी
न मैंने तुमको खोजा कभी
बस देखते ही देखते हम खो गए।
न तुमने मुझको बुलाया कभी
न मैंने तुमको बुलाया कभी
बस देखते देखते अलविदा हो गए।
© डॉ प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव